द फॉलोअप डेस्क
बिहार में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। बता दें कि बिहार सरकार ने जहां एक ओर जमीन सर्वे का कार्य शुरू किया है। वहीं, दूसरी ओर सरकारी जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए अभियान भी चला रखा है। इस अभियान के तहत अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां सरकारी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा किया गया था। इसके बाद जमाबंदी भी करवा ली गई थी।
आरा में करवाई गई थी फर्जी रजिस्ट्री
इसी कड़ी में आरा जिले में एक बड़ा मामला सामने आया है। इसमें करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन पर 27 साल तक कब्जा करने वालों की जमाबंदी रद्द कर दी गई है। भोजपुर जिले के SDM (राजस्व) ने ऐसे 12 लोगों की जमाबंदी रद्द की है, जिन्होंने सरकारी जमीन को निजी बना लिया था। यह मामला आरा सदर अंचल के गौसगंज क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एक एकड़ कीमती सरकारी जमीन पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ था। 1998-99 में स्थानीय अंचल कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन की फर्जी रजिस्ट्री करवा दी गई थी।सरकारी जमीन को निजी बताया
बताया जा रहा है कि इन 12 लोगों ने सरकारी जमीन को निजी बताकर अपनी नाम से रजिस्ट्री करवाई थी। इन लोगों ने न केवल खाता नंबर बदलने की कोशिश की, बल्कि जमीन के खेसरा, चौहद्दी और रकबा को भी बदलने की कोशिश की थी। लेकिन अब 27 साल बाद भूमि सर्वे के दौरान यह मामला सामने आया। सर्वे के दौरान यह पाया गया कि जिस जमीन की रजिस्ट्री की गई थी, वह सरकारी जमीन थी। इसके बाद जांच शुरू की गई।
जांच में क्या आया सामने
मिली जानकारी के अनुसार, जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन अंचलाधिकारी और राजस्व कर्मचारी की मिलीभगत से सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई थी। इस मामले की जानकारी मिलने पर मौजूदा अंचलाधिकारी पल्लवी कुमारी गुप्ता ने इसकी गहन जांच की और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर SDM (राजस्व) से इस जमाबंदी को रद्द करने की अनुशंसा की। SDM ने इस अनुशंसा को स्वीकार करते हुए सभी जमाबंदी को रद्द कर दिया और जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का आदेश दिया।इनकी हुई पहचान
मालूम हो कि जिन लोगों ने फर्जी ढंग से सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवाई, उनकी पहचान भी हो गई है। इन लोगों में गौसगंज की ललमुनी देवी, शकुंतला कुमारी सिंह, जानकी देवी, किरण देवी, ललिता देवी, फूल कुमारी देवी और मंजू देवी के साथ रंजीत कुमार चौधरी, दिनेश कुमार चौधरी, शंभूनाथ ओझा, शिवयोगी और हरेंद्र साह शामिल हैं। इन सभी ने सरकारी जमीन पर फर्जी तरीके से कब्जा किया था और अपनी नाम से जमाबंदी करवाई थी। अब प्रशासन ने इन जमीनों को सरकारी कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।